गोपाल-सा मन लिए राजगोपाल जी….–डॉ. विष्णु सक्सेना

बात उन दिनों की है जब मंच पर हास्य कविता की बादशाहत मज़बूत होती जा रही थी और गीत-ग़ज़ल मायूस होकर अपने को कमज़ोर प्रदर्शित करने पर उतारू थी। फर्रुख़ाबादा के एक आयोजन में पहली बार मुलाक़ात हुई भाईसाहब से। शिवओम अम्बर जी ने मेरा परिचय कराया। मैं उस वक्त संघर्षशील कवि था और भाईसाहब … Continue reading गोपाल-सा मन लिए राजगोपाल जी….–डॉ. विष्णु सक्सेना